शेर हुए चटखारे से ग़ज़ल हुई नमकीन गीत हुए मधुशाला स | हिंदी कविता

"शेर हुए चटखारे से ग़ज़ल हुई नमकीन गीत हुए मधुशाला से कविता भावविहीन गहन मनन चिंतन नहीं श्रोता नव सब दीन हीने ओछे काव्य गढ़ अब के कवि प्रवीन ©अज्ञात"

 शेर हुए चटखारे से ग़ज़ल हुई नमकीन 
गीत हुए मधुशाला से कविता भावविहीन 
गहन मनन चिंतन नहीं श्रोता नव सब दीन 
हीने ओछे काव्य गढ़ अब के कवि प्रवीन

©अज्ञात

शेर हुए चटखारे से ग़ज़ल हुई नमकीन गीत हुए मधुशाला से कविता भावविहीन गहन मनन चिंतन नहीं श्रोता नव सब दीन हीने ओछे काव्य गढ़ अब के कवि प्रवीन ©अज्ञात

#काव्य

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