"बहुत कुछ बुरा और बदतर भी होता रहा है
और मैं कलम को दवात की दावत देता रहा
बुरे के साथ बहुत कुछ अच्छा हो भी रहा है
और मेरी कलम लिखने की ज़ुर्रत करता रहा
सब मनमाना चलने की रवायतें चल पड़ी है
और मेरी कलम चलने की हिम्मत करता रहा
मौन होकर एक देश दो संविधान देख रहा है
और मेरी कलम विधि का विधान देखता रहा
कुछ अच्छे कुछ बुरे का मिश्रण ही जीवन है
और मेरी कलम प्रेम रस समर्पित करता रहा
©अदनासा-
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