कुर्सी के उन चार पहियों का बोझ उम्र के एक पड़ाव के | हिंदी विचार
"कुर्सी के उन चार पहियों का बोझ उम्र के एक पड़ाव के बाद महीन हो गया,अब खालीपन है वहां, जहां वक़्त तजुर्बा तो देता है पर जवानी कहीं छीन सी जाती है।।
Rohit budakoti 🙏"
कुर्सी के उन चार पहियों का बोझ उम्र के एक पड़ाव के बाद महीन हो गया,अब खालीपन है वहां, जहां वक़्त तजुर्बा तो देता है पर जवानी कहीं छीन सी जाती है।।
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