#प्रवासी#
कौन हैं ये प्रवासी?
बोरिया बिस्तर सर पे लादे
पैदल कहाँ चल रहे हैं?
ये कोई परदेसी हैं?
या अपने ही देश में शरणार्थी हैं?
बच्चों के गोद में बच्चें हैं
कंधों पे भी भोझ हैं
जरा घोर से देखो इन्हें
आँखें इनकी नम हैं
विस्थापन का गम हैं
रूखें इनके होंठ हैं
मन में कहीं चौट हैं
सफर इनका जारी हैं
सामान इनका भारी हैं
शायद अपने घर जा रहे हैं
पर इनका घर किधर हैं?
इनका गावँ कहाँ हैं?
ये कोई परदेसी हैं ?
या अपने ही देश में शरणार्थी हैं?
कितने मील चल लिये?
कितने और चलना बाकी हैं ?
भुगौल पढ़ना अब
छोड़ ही दो साहेब!!!
भारत की फैलाव कितनी हैं?
पूछो इन प्रवासी से
भूख क्या होती हैं?
पूछो इन गरीबों से
प्यास क्या होती हैं ?
पूछो इन मजदूरों से
लाचार माँ की गोद में
जो मासूम सा बच्चा हैं
दूध के लिए तड़प रहा हैं
पर सफर इतना लम्बा हैं
बैठने को समय कहाँ हैं?
अभी मंजील बहुत दूर हैं
पेरों में छाले भी पड़ गए हैं
फिर भी चलना जरूरी हैं
घर पहुँचना जरूरी हैं
ये कोई परदेसी हैं?
या अपने ही देश में शरणार्थी हैं?
मैं पूछती हूँ,
सरकार छुप क्यों हैं?
व्यवस्था खामोश क्यों हैं?
लिचा यारी
प्रवासी