White "हम रो-रो कर आंखें फोड लेते हैं ll आंखों से | हिंदी शायरी

"White "हम रो-रो कर आंखें फोड लेते हैं ll आंखों से आंसू भी निचोड़ लेते हैं ll अपनी आमदनी पर गुजर बसर करतें हैं, हम चादर कम पड़ने पर पैर मोड़ लेते हैं ll कायर नहीं हैं, बस झगड़े पसंद नहीं हैं, हम हाथ उठाने वालों से हाथ जोड़ लेते हैं ll जो पैसों को पकडकर चला करते हैं, दुख में हम उनसे उम्मीदें छोड़ देते हैं ll दुश्मनों के वार हमें मजबूत बनाते हैं, अपनों के दुर्व्यवहार हमें तोड़ देते हैं ll" ©उत्कर्ष शुक्ल UK"

 White "हम रो-रो कर आंखें फोड लेते हैं ll
 आंखों से आंसू भी निचोड़ लेते हैं ll
अपनी आमदनी पर गुजर बसर करतें हैं, 
 हम चादर कम पड़ने पर पैर मोड़ लेते हैं ll
 कायर नहीं हैं, बस झगड़े पसंद नहीं हैं, 
 हम हाथ उठाने वालों से हाथ जोड़ लेते हैं ll
 जो पैसों को पकडकर चला करते हैं, 
 दुख में हम उनसे उम्मीदें छोड़ देते हैं ll
 दुश्मनों के वार हमें मजबूत बनाते हैं,
 अपनों के दुर्व्यवहार हमें तोड़ देते हैं ll"

©उत्कर्ष शुक्ल UK

White "हम रो-रो कर आंखें फोड लेते हैं ll आंखों से आंसू भी निचोड़ लेते हैं ll अपनी आमदनी पर गुजर बसर करतें हैं, हम चादर कम पड़ने पर पैर मोड़ लेते हैं ll कायर नहीं हैं, बस झगड़े पसंद नहीं हैं, हम हाथ उठाने वालों से हाथ जोड़ लेते हैं ll जो पैसों को पकडकर चला करते हैं, दुख में हम उनसे उम्मीदें छोड़ देते हैं ll दुश्मनों के वार हमें मजबूत बनाते हैं, अपनों के दुर्व्यवहार हमें तोड़ देते हैं ll" ©उत्कर्ष शुक्ल UK

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