यादें तेरी हर रोज शाम को दरवाजे से झांकती हैं
मैं भी सोता नहीं रात को यह भी साथ जागती है
लेकर आती हैं साथ में सारे कसमे वादे और बातें
बहता है फिर नीर आंखों से मेरी ना ये मानती हैं
अब तो तेरी तस्वीर से भी डर लगने लगा है मुझे
छूने लगता हूं जब इनको उंगलियां मेरी कांपती है
पूछता है जब कोई तेरे बारे में उनको यही कहता हूं
ना मेरा कोई वास्ता उससे ना वह मुझे जानती है
सब कहते हैं कितनी अच्छी शायरी लिख लेता हूं मैं
अब उनको क्या है मालूम यह सब रहमत आपकी है
©Ashish Gupta
#betrayal
दिल की गहराई से कुछ लफ्ज़.....😭