मेरा क्या कसूर जो हम तुझपे मर मिटे,
ये तो साज़िश तेरी आंखों की है, जो सरेआम कत्लेआम करती हैं...(ankush)
इल्जाम लगाना लाज़मी था,
तेरी इन कातिल निगाहों पे
कितने आशिक मिटे होंगे,
तुझे पाने की चाहत में।।
( Arun Kumar)
इल्ज़ाम लगाते हो मेरी इन निगाहों पे, क़त्ल कर कर गई तुम्हारी ये अदा। हम तो तेरी सादगी पर मर मिटे है ..!!
(Sangeeta Sinha)
कत्ल कर ही नहीं सकती ये मासूम निगाहे।
ये तो लगती हैं बुलाती बांहे ,प्यार की मंजिल तक पहुंचाती राहें।।(Subhash @)
©Dr Arun Kumar
#Eyes