तस्वीर तेरी हर रोज़ बनी,   लोगों ने कलम उठाई थी,  | Eng

"तस्वीर तेरी हर रोज़ बनी,   लोगों ने कलम उठाई थी,   और तूने मर्ज़ी जताई थी।  क्यों बिदक रहा फिर कोने में,  जो झलक नहीं तेरी आई है।  हर रोज़ तरसता कमरे मे,  जो है ही नहीं, वो समझ रहे, जो बात न थी, वो फैल गयी,  जो फैल गयी, तो नाम हुआ ये नाम कभी बदनाम हुआ।  पर बात यहाँ बेबात हुई l  हक़ औरों को तुने दान किया,  तेरा अंकन कर तुझे तोल दिया । ©Trisha09"

 तस्वीर तेरी हर रोज़ बनी, 

 लोगों ने कलम उठाई थी, 

 और तूने मर्ज़ी जताई थी। 

क्यों बिदक रहा फिर कोने में, 

जो झलक नहीं तेरी आई है। 

हर रोज़ तरसता कमरे मे, 

जो है ही नहीं, वो समझ रहे,

जो बात न थी, वो फैल गयी, 

जो फैल गयी, तो नाम हुआ

ये नाम कभी बदनाम हुआ। 

पर बात यहाँ बेबात हुई l 

हक़ औरों को तुने दान किया, 

तेरा अंकन कर तुझे तोल दिया ।

©Trisha09

तस्वीर तेरी हर रोज़ बनी,   लोगों ने कलम उठाई थी,   और तूने मर्ज़ी जताई थी।  क्यों बिदक रहा फिर कोने में,  जो झलक नहीं तेरी आई है।  हर रोज़ तरसता कमरे मे,  जो है ही नहीं, वो समझ रहे, जो बात न थी, वो फैल गयी,  जो फैल गयी, तो नाम हुआ ये नाम कभी बदनाम हुआ।  पर बात यहाँ बेबात हुई l  हक़ औरों को तुने दान किया,  तेरा अंकन कर तुझे तोल दिया । ©Trisha09

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