White सुनो,
मेरे इस मन के भंवरजाल को ,
तुम , मेरी उस उलझन को मिटाओगी क्या ?
संग मेरे, उस समंदर किनारे टहल पाओगी क्या ?
एक शायद हूँ मेरा मन थोड़ा बैचेन सा,
तुम मेरे उस बैचेनी को मिटाओगी क्या ?
उलझी सी मेरी जिंदगी है
अपने बालों सा सँवार लोगी क्या ?
स्वार्थ से भरी है इस दुनिया में,
हाथ मेरा तुम सात जन्म तक थाम पाओगी क्या ?
छाई किस्मत पर उमस भरी ये बादली है
बनकर बरसात मेरे सगं भिगाओगी क्या ?
गुमनाम जिंदगी में अंधेरी यादों सी है
चाँदनी सी रोशनी मे मेरे साथ बिखराओगी क्या ?
गीली रेत पर कदम से कदम
यु मिलाकर मेरे संग चल पाओगी क्या ?
©बेजुबान शायर shivkumar
#sad_shayari #SAD #sad_emotional_shayries #sad😊 #sadfeelings
सुनो,
मेरे इस मन के भंवरजाल को ,
तुम , मेरी उस उलझन को मिटाओगी क्या ?
संग मेरे, उस समंदर किनारे टहल पाओगी क्या?