***जुर्रत***
रहनुमा जिसको बनाया, वो झूठ कहे जा रहा है,
सरकारी अमला उसी पे अमल किए जा रहा है।
अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया है हर ओर,
और सितमगर चोट पर चोट किए जा रहा है।
तमाशबीन कुछ कम नहीं हैं अपने मुल्क में भी,
तभी अपना नुमाइंदा ऐसी जुर्रत किए जा रहा है।
किसान है सड़कों पर और जवान है बार्डर पर,
कौन है जो कंबल ओढ़ कर घी पिए जा रहा है।
मौत आती है, गुरूर करने वाले को भी 'आनंद',
तख्त पे बैठा है वो इसे भूलकर जिए जा रहा है।
-मुकेश आनंद।
-उपाध्यक्ष, संस्कृति और कला प्रकोष्ठ,
आम आदमी पार्टी, उत्तर प्रदेश।
©मुकेश आनंद
#जुर्रत
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