White एक बार एक वोटर लाइन में ही मर गया। मृत्यु उप | हिंदी मोटिवेशनल

"White एक बार एक वोटर लाइन में ही मर गया। मृत्यु उपरान्त वो ऊपर यमराज के दरबार में पहुंचा। वहां चित्रगुप्त उसके कर्मो का खाता खोले बैठा था। उसके कर्मो का खाता देखने के बाद चित्रगुप्त ने यमराज से कहा श्रीमान ये तो 50, 50 का मामला है। पलड़ा दोनों तरफ बिलकुल बराबर है। ऐसी स्थिति पहली बार हुई है। आप आदेश दें कि क्या किया जाए। इसे कहां भेजा जाए। स्वर्ग या नर्क यमराज- ऐसी स्थिति में निर्णय लेने का अधिकार इसी का है। जो भी ये चुनना चाहे। उन्होंने उसे एक दूत के साथ एक दिन नर्क और स्वर्ग में बिताने के लिए भेज दिया। पहले दिन नर्क में पहुंचते ही उसने खुद को एक गोल्फ कोर्स में पाया। चारो तरफ हरियाली , खूबसूरत दृश्यावली के बीच उसे दूर एक छोटा सा एक क्लब नजर आया। वहां पहुंचते ही उसे उसके सभी पुराने मित्र मिल गए । जो सभी बेहद खुश और मजे ले रहे थे। मित्रों के साथ दिन भर उसने ढेर सारा आनंद उठाया, अच्छा खाना खाया थोड़ी बढ़िया शराब भी पी। आखिर उनसे विदा लेकर वो दूत के साथ स्वर्ग में पहुंचा। वहां सभी संत टाइप के संतुष्ट व्यक्ति भजन कीर्तन में लीन थे। दिन बीतता दिखा नहीं उसे। आखिर उसका जाने का समय हो गया। दूत के साथ वो यमराज के पास पहुंचा। यमराज ने उसका निर्णय जानना चाहा। उसने कहा - महाराज स्वर्ग बहुत अच्छा है। वहां शान्ति भी है। लेकिन मैं तो नर्क में ही रहना चाहूंगा। असल आनंद वही पर है। यमराज ने दूत को उसे नर्क में छोड़ कर आने के लिए कहा। नर्क के द्वार के अंदर घुसते ही वो चौंक गया। चारों तरफ उजाड़ बियाबान रेगिस्तान नजर आ रहा था। और उसके सभी मित्र फटेहाल अवस्था में वहां बिखरे पड़े कूड़े करकट में अपना भोजन तलाश रहे थे। उसने दूत से कहा- ये क्या कल तो यहां दूसरा ही दृश्य था। दूत ने हँसते हुए कहा - कभी पृथ्वी पर चुनाव प्रचार नही देखा क्या?? कल अभियान का दिन था। तुम्हे लुभाने का दिन था। तुम्हे फसाने का दिन था। आज तो तुम अपना वोट दे चुके हो। ©Andy Mann"

 White एक बार एक वोटर लाइन में ही मर गया। मृत्यु उपरान्त वो ऊपर यमराज के दरबार में पहुंचा। वहां चित्रगुप्त उसके कर्मो का खाता खोले बैठा था। 
    उसके कर्मो का खाता देखने के बाद चित्रगुप्त ने यमराज से कहा श्रीमान ये तो 50, 50 का मामला है। पलड़ा दोनों तरफ बिलकुल बराबर है। ऐसी स्थिति पहली बार हुई है। आप आदेश दें कि क्या किया जाए। इसे कहां भेजा जाए। स्वर्ग या नर्क
    यमराज- ऐसी स्थिति में निर्णय लेने का अधिकार इसी का है। जो भी ये चुनना चाहे। 
उन्होंने उसे एक दूत के साथ एक दिन नर्क और स्वर्ग में बिताने के लिए भेज दिया।
पहले दिन नर्क में पहुंचते ही उसने खुद को एक गोल्फ कोर्स में पाया। चारो तरफ हरियाली , खूबसूरत दृश्यावली के बीच उसे दूर एक छोटा सा एक क्लब नजर आया। वहां पहुंचते ही उसे उसके सभी पुराने मित्र मिल गए । जो सभी बेहद खुश और मजे ले रहे थे। मित्रों के साथ दिन भर उसने ढेर सारा आनंद उठाया, अच्छा खाना खाया थोड़ी बढ़िया शराब भी पी। 
आखिर उनसे विदा लेकर वो दूत के साथ स्वर्ग में पहुंचा। वहां सभी संत टाइप के संतुष्ट व्यक्ति भजन कीर्तन में लीन थे। दिन बीतता दिखा नहीं उसे। आखिर उसका जाने का समय हो गया।
दूत के साथ वो यमराज के पास पहुंचा। 
यमराज ने उसका निर्णय जानना चाहा।
उसने कहा - महाराज स्वर्ग बहुत अच्छा है। वहां शान्ति भी है। लेकिन मैं तो नर्क में ही रहना चाहूंगा। असल आनंद वही पर है।
यमराज ने दूत को उसे नर्क में छोड़ कर आने के लिए कहा।
नर्क के द्वार के अंदर घुसते ही वो चौंक गया। चारों तरफ उजाड़ बियाबान रेगिस्तान नजर आ रहा था। और उसके सभी मित्र फटेहाल अवस्था में वहां बिखरे पड़े कूड़े करकट में अपना भोजन तलाश रहे थे। 
उसने दूत से कहा- ये क्या कल तो यहां दूसरा ही दृश्य था।

दूत ने हँसते हुए कहा - कभी पृथ्वी पर चुनाव प्रचार नही देखा क्या?? कल अभियान का दिन था। तुम्हे लुभाने का दिन था। तुम्हे फसाने का दिन था।

आज तो तुम अपना वोट दे चुके हो।

©Andy Mann

White एक बार एक वोटर लाइन में ही मर गया। मृत्यु उपरान्त वो ऊपर यमराज के दरबार में पहुंचा। वहां चित्रगुप्त उसके कर्मो का खाता खोले बैठा था। उसके कर्मो का खाता देखने के बाद चित्रगुप्त ने यमराज से कहा श्रीमान ये तो 50, 50 का मामला है। पलड़ा दोनों तरफ बिलकुल बराबर है। ऐसी स्थिति पहली बार हुई है। आप आदेश दें कि क्या किया जाए। इसे कहां भेजा जाए। स्वर्ग या नर्क यमराज- ऐसी स्थिति में निर्णय लेने का अधिकार इसी का है। जो भी ये चुनना चाहे। उन्होंने उसे एक दूत के साथ एक दिन नर्क और स्वर्ग में बिताने के लिए भेज दिया। पहले दिन नर्क में पहुंचते ही उसने खुद को एक गोल्फ कोर्स में पाया। चारो तरफ हरियाली , खूबसूरत दृश्यावली के बीच उसे दूर एक छोटा सा एक क्लब नजर आया। वहां पहुंचते ही उसे उसके सभी पुराने मित्र मिल गए । जो सभी बेहद खुश और मजे ले रहे थे। मित्रों के साथ दिन भर उसने ढेर सारा आनंद उठाया, अच्छा खाना खाया थोड़ी बढ़िया शराब भी पी। आखिर उनसे विदा लेकर वो दूत के साथ स्वर्ग में पहुंचा। वहां सभी संत टाइप के संतुष्ट व्यक्ति भजन कीर्तन में लीन थे। दिन बीतता दिखा नहीं उसे। आखिर उसका जाने का समय हो गया। दूत के साथ वो यमराज के पास पहुंचा। यमराज ने उसका निर्णय जानना चाहा। उसने कहा - महाराज स्वर्ग बहुत अच्छा है। वहां शान्ति भी है। लेकिन मैं तो नर्क में ही रहना चाहूंगा। असल आनंद वही पर है। यमराज ने दूत को उसे नर्क में छोड़ कर आने के लिए कहा। नर्क के द्वार के अंदर घुसते ही वो चौंक गया। चारों तरफ उजाड़ बियाबान रेगिस्तान नजर आ रहा था। और उसके सभी मित्र फटेहाल अवस्था में वहां बिखरे पड़े कूड़े करकट में अपना भोजन तलाश रहे थे। उसने दूत से कहा- ये क्या कल तो यहां दूसरा ही दृश्य था। दूत ने हँसते हुए कहा - कभी पृथ्वी पर चुनाव प्रचार नही देखा क्या?? कल अभियान का दिन था। तुम्हे लुभाने का दिन था। तुम्हे फसाने का दिन था। आज तो तुम अपना वोट दे चुके हो। ©Andy Mann

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