हो के मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिये जिन्दगी भोर है | हिंदी Shayari

"हो के मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिये जिन्दगी भोर है सूरज से निकलते रहिये। एक ही ठाओं पर ठहरोगे तो थक जाओगे धीरे धीरे ही सही राह पर चलते रहिये।। 🇮🇳🇮🇪एक्स, आर्मी 🇮🇳 ©Krishana Kant Sinha"

 हो के मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिये
जिन्दगी भोर है सूरज से निकलते रहिये। 

एक ही ठाओं पर ठहरोगे तो थक जाओगे
धीरे धीरे ही सही राह पर चलते रहिये।। 

🇮🇳🇮🇪एक्स, आर्मी 🇮🇳

©Krishana Kant Sinha

हो के मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिये जिन्दगी भोर है सूरज से निकलते रहिये। एक ही ठाओं पर ठहरोगे तो थक जाओगे धीरे धीरे ही सही राह पर चलते रहिये।। 🇮🇳🇮🇪एक्स, आर्मी 🇮🇳 ©Krishana Kant Sinha

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