मोहब्बत का अक्सर ये अंजाम होता है,
जो निबाहता है दिल से वो बदनाम होता है........
हम हर शाम सजाते हैं महफ़िल शायरी की,
उसका आना महफ़िल में हर शाम होता है.........
और जब सब पूछते हैं हमसे महफ़िल में,
जनाब तुम्हें इतना ज़्यादा किसने सताया है........
हम दोनों देखते हैं एक-दूसरे को लगातार,
ये तमाशा हमारे मोहल्ले में सरेआम होता है.......
©Poet Maddy
मोहब्बत का अक्सर ये अंजाम होता है,
जो निबाहता है दिल से वो बदनाम होता है........
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