निगाहों में मंज़िल थी, गिरे और गिर कर संभलते रहे; | हिंदी विचार Video

"निगाहों में मंज़िल थी, गिरे और गिर कर संभलते रहे; हवाओं ने बहुत कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे। ©mohdadeen1 "

निगाहों में मंज़िल थी, गिरे और गिर कर संभलते रहे; हवाओं ने बहुत कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे। ©mohdadeen1

#nojota @Meghna Kapoor Rajpoot @Ambika Jha writer Cs Thakur Kajalife.... @Farhan Shaikh

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