मेरे ख्वाबों का महल तू ढहाता चला गया अपना कर गैर क | हिंदी शायरी

"मेरे ख्वाबों का महल तू ढहाता चला गया अपना कर गैर को,हमें ठुकराता चला गया मुश्किल था मेरे जज्बात को बहने से रोकना, मेरे ख़्वाब छीन ,गैर के सपने तू सजाता चला गया....."

 मेरे ख्वाबों का महल तू ढहाता चला गया
अपना कर गैर को,हमें ठुकराता चला गया
मुश्किल था मेरे जज्बात को बहने से रोकना,
मेरे ख़्वाब छीन ,गैर के सपने तू सजाता चला गया.....

मेरे ख्वाबों का महल तू ढहाता चला गया अपना कर गैर को,हमें ठुकराता चला गया मुश्किल था मेरे जज्बात को बहने से रोकना, मेरे ख़्वाब छीन ,गैर के सपने तू सजाता चला गया.....

#MoonHiding

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