नंगे पांव मंदिर आओ या सुबह शाम क्या फर्क पड़ता है | हिंदी शायरी

"नंगे पांव मंदिर आओ या सुबह शाम क्या फर्क पड़ता है.. मां सब कुछ पहचानती है पाप और पुण्य वह सब जानती है! ©Shalini Nigam"

 नंगे पांव मंदिर आओ या सुबह शाम 
क्या फर्क पड़ता है.. मां सब कुछ पहचानती है 
पाप और पुण्य वह सब जानती है!

©Shalini Nigam

नंगे पांव मंदिर आओ या सुबह शाम क्या फर्क पड़ता है.. मां सब कुछ पहचानती है पाप और पुण्य वह सब जानती है! ©Shalini Nigam

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