मैं भटक चुका कई बार मुझे नया काफ़िला दे.. मुझे कोई | हिंदी शायरी

"मैं भटक चुका कई बार मुझे नया काफ़िला दे.. मुझे कोई मुझसे मिलता हुआ मिला दे... कबसे खड़े है किस्मत की कतार में, ए खुदा चित्रगुप्त को रिशवत खिला दे... ©Shivani Gupta"

 मैं भटक चुका कई बार मुझे नया काफ़िला दे..
मुझे कोई मुझसे मिलता हुआ मिला दे...
कबसे खड़े है किस्मत की कतार में,
ए खुदा चित्रगुप्त को रिशवत खिला दे...

©Shivani Gupta

मैं भटक चुका कई बार मुझे नया काफ़िला दे.. मुझे कोई मुझसे मिलता हुआ मिला दे... कबसे खड़े है किस्मत की कतार में, ए खुदा चित्रगुप्त को रिशवत खिला दे... ©Shivani Gupta

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