हवा और दुपट्टा उस हवा से भी नाराजगी बांध ली थी हम | हिंदी शायरी

"हवा और दुपट्टा उस हवा से भी नाराजगी बांध ली थी हमने तो जो उसके माथे को छूकर उसका दुपट्टा गिरा जाती थी"

 हवा और दुपट्टा उस हवा से भी नाराजगी 
बांध ली थी हमने तो
जो उसके माथे को छूकर उसका 
दुपट्टा गिरा जाती थी

हवा और दुपट्टा उस हवा से भी नाराजगी बांध ली थी हमने तो जो उसके माथे को छूकर उसका दुपट्टा गिरा जाती थी

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