खड़ी किनारे कश्तीया,एक दुजे से पुछे रे, मांझी मेरा | हिंदी कविता

"खड़ी किनारे कश्तीया,एक दुजे से पुछे रे, मांझी मेरा रहें उदास,सागर में 💔 क्यु डुबे रे,वक्त का खेल है साथी ,सब मतलब से पुजे रे, कोई बने हैं अपने, कोई बने पराएं रे,धन दौलत की ये दुनिया सारी,धन बिन कोन पुछे रे, मांझी मेरा रहे उदास, सागर में 💔 क्यु डुबे रे।। ©Aastha Vishnoi"

 खड़ी किनारे कश्तीया,एक दुजे से पुछे रे, मांझी मेरा रहें उदास,सागर में 💔 क्यु डुबे रे,वक्त का खेल है साथी ,सब मतलब से पुजे रे, कोई बने हैं अपने, कोई बने पराएं रे,धन दौलत की ये दुनिया सारी,धन बिन कोन पुछे रे, मांझी मेरा रहे उदास, सागर में 💔 क्यु डुबे रे।।

©Aastha Vishnoi

खड़ी किनारे कश्तीया,एक दुजे से पुछे रे, मांझी मेरा रहें उदास,सागर में 💔 क्यु डुबे रे,वक्त का खेल है साथी ,सब मतलब से पुजे रे, कोई बने हैं अपने, कोई बने पराएं रे,धन दौलत की ये दुनिया सारी,धन बिन कोन पुछे रे, मांझी मेरा रहे उदास, सागर में 💔 क्यु डुबे रे।। ©Aastha Vishnoi

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