न ख्व़ाब बुन सके न हक़ीक़त संवार ली, थे अज | हिंदी शायरी Video

"न ख्व़ाब बुन सके न हक़ीक़त संवार ली, थे अजनबी से रास्ते हंसकर गुज़ार ली। न मिल सकी ज़मीं न मयस्सर है आसमां, हम जैसे परिंदों ने तो उड़कर गुज़ार ली। ©Samvedita "

न ख्व़ाब बुन सके न हक़ीक़त संवार ली, थे अजनबी से रास्ते हंसकर गुज़ार ली। न मिल सकी ज़मीं न मयस्सर है आसमां, हम जैसे परिंदों ने तो उड़कर गुज़ार ली। ©Samvedita

#रास्ते

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