पीड़ा
मौन मुंह हताश मस्ताक्ष
दिल मैं क्रोध असंतोष मन
दर्द जिंदगी भटकता मैं
पैरों मैं जंजीर आसमान मैं बादल
उड़ान अधूरी, है न पूरी
सैलाब है अंदर, बाहर सन्नाटा
मै हु कोन मैं खुद नही जानता
मन को मनाऊं, या खुद को संभालु
जीवन जीयु या नशे मैं निकालू
हारा हु मै, तो हार क्यू ना मनु
उठने की बार बार मैं क्यू थानू
शांति से कही एक जगह न सोजाऊ
अंदर की बातें, बस तू ही तो जाने
जिंदगी तेरी बस तूही तो जाने
दिल मैं है शोर, शोर मैं मैं हु
मुझको नहीं पता, हूं मैं अब कोन
पीड़ा मैं मैं, मैं भी अब मौन हु
दर्द जिंदगी, भटकता अब मैं हूं
©Sourav Shukla
#Journey