क्या पता ये सजदा तुम्हारे दर्द का आखरी सजदा हो,
क्या पता जो तुम्हारी रजा है वही खुदा की रजा हो
क्या पता उसने बार बार सुनने के लिए कबूलियत का वक्त बढ़ाया हो,
क्या पता तुम जिसके इंतजार में बैठे हो वो भी तुम्हारे इंतजार में बैठा हो,
क्या पता तुम्हारी इस बेबसी के बाद कौन सा उत्सव हो।
✍️ अल्फाजों का मेला ✍️
©Mamta Sharma
#rain