मत्तगयंद सवैया
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अब बंधु अभी सच बात कहें,तुम ध्यान लगाकर ही
सुनना।
छल छंद भरा यह लोक बड़ा, सबकी सुनना अपनी
गुनना।।
कुछ भूल हुई फिर तो तुमको ,उपरांत पड़े सिर ही
धुनना।
दुनिया अति स्वार्थ भरी इसमें,अति दुर्लभ मीत हुआ
चुनना।।
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आशा शुक्ला,शाहजहाँपुर,उत्तरप्रदेश
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