शायरा
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आपके सोहबत ने ए दोस्त,
हमें शायरा बना दिया
वरना हम तो एक शेर
लिखने के काबिल भी न थे,
दबी आरजू छिपी तमन्नाएं,
जो हमारे दिल के राज थे कभी,
अब हर्फ बं कर,पन्नी में उतरने लगे हैं,
अश्क जो बहते थे निगाहों से कभी,
अब रोशनई बन पन्नी में,रंग भरने लगे हैं,
खुद को मशरूफ रखने के बहाने,
ढूंढा करते थे कभी,
आज खुद को,ख्वाबों ख्यालों में,
उलझे पाते हैं।
।।शुक्रिया।।
***बीना***
(06/12/2020)
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