की धवल चांदनी की रात थी तू बोल उठी थी तू देख उठी | मराठी Poetry Video

"की धवल चांदनी की रात थी तू बोल उठी थी तू देख उठी थी कि यही तेरी चाह थी यही तेरी जिंदगी थी तुझे विभोर सुहाना लगा था उस बोर का तुझे इंतजार था तेरी चाह शुरू हो गई थी जब तेरी जिंदगी शुरू हुई थी तूने सपने देखे इस जिंदगी में हर कोशिश कर दी पूरी करने में सब लग गए तुझे नीचे खींचने में तू बढ़ती चली गई बिना किसी फिक्र में बन उस सूरज की तरह जो किसी का सहारा ना लेता है बन उस पृथ्वी की जो सब का भार लेता है तू कोशिश कर तू सब कुछ कर सकती है तू मेहनत कर तू अपनी सब चाह पूरी कर सकती है ©Alok Kumar "

की धवल चांदनी की रात थी तू बोल उठी थी तू देख उठी थी कि यही तेरी चाह थी यही तेरी जिंदगी थी तुझे विभोर सुहाना लगा था उस बोर का तुझे इंतजार था तेरी चाह शुरू हो गई थी जब तेरी जिंदगी शुरू हुई थी तूने सपने देखे इस जिंदगी में हर कोशिश कर दी पूरी करने में सब लग गए तुझे नीचे खींचने में तू बढ़ती चली गई बिना किसी फिक्र में बन उस सूरज की तरह जो किसी का सहारा ना लेता है बन उस पृथ्वी की जो सब का भार लेता है तू कोशिश कर तू सब कुछ कर सकती है तू मेहनत कर तू अपनी सब चाह पूरी कर सकती है ©Alok Kumar

तू मेहनत कर

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