White इस पुरुष प्रधान समाज में जब भी किसी पुरुष न | हिंदी विचार

"White इस पुरुष प्रधान समाज में जब भी किसी पुरुष ने अपने किरदार को बेदाग साबित करना चाहा.... प्रत्युत्तर में उसने प्रथम प्रश्न सदैव अपनी स्त्री के चरित्र पर उठाया..... ये परिवार झूठी दलीलें पेश कर भलीभांति उसकी पैरवी कर देता है और ये समाज उस स्त्री को अपराधी श्रेणी में रखने की मौन स्वीकृति दे देता है ..तब तब वह स्त्री इस न किए गए अपराध की सजा स्वयं के लिए स्वयं ही निर्धारित कर लेती है.... जीवनपर्यंत उसी पुरुष के साथ रहकर... परिणाम स्वरूप पुरुष को स्वतः ही निर्दोष करार मिल जाता है.... Please don't take it personally, it's not meant to hurt anyone's sentiments. ©हिमानी तूनवाल "हिम""

 White  इस पुरुष प्रधान समाज में जब भी किसी पुरुष ने अपने किरदार को बेदाग साबित करना चाहा.... प्रत्युत्तर में उसने प्रथम प्रश्न सदैव अपनी स्त्री के चरित्र पर उठाया..... 
ये परिवार झूठी दलीलें पेश कर भलीभांति उसकी पैरवी कर देता है और ये समाज उस स्त्री को अपराधी श्रेणी में रखने की मौन स्वीकृति दे देता है
..तब
तब वह स्त्री इस न किए गए अपराध की सजा स्वयं के लिए स्वयं ही निर्धारित कर लेती है.... 
जीवनपर्यंत उसी पुरुष के साथ रहकर... 
परिणाम स्वरूप पुरुष को स्वतः ही निर्दोष करार मिल जाता है....





Please don't take it personally, it's not meant to hurt anyone's sentiments.

©हिमानी तूनवाल "हिम"

White इस पुरुष प्रधान समाज में जब भी किसी पुरुष ने अपने किरदार को बेदाग साबित करना चाहा.... प्रत्युत्तर में उसने प्रथम प्रश्न सदैव अपनी स्त्री के चरित्र पर उठाया..... ये परिवार झूठी दलीलें पेश कर भलीभांति उसकी पैरवी कर देता है और ये समाज उस स्त्री को अपराधी श्रेणी में रखने की मौन स्वीकृति दे देता है ..तब तब वह स्त्री इस न किए गए अपराध की सजा स्वयं के लिए स्वयं ही निर्धारित कर लेती है.... जीवनपर्यंत उसी पुरुष के साथ रहकर... परिणाम स्वरूप पुरुष को स्वतः ही निर्दोष करार मिल जाता है.... Please don't take it personally, it's not meant to hurt anyone's sentiments. ©हिमानी तूनवाल "हिम"

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