मैं सुबह था, वो दोपहर थी.. मैं एक बूंद सा वो पूरी | English Shayari Vi

"मैं सुबह था, वो दोपहर थी.. मैं एक बूंद सा वो पूरी लहर सी.. कैसे वो मुझमे ठहरती, मैं गांव था,वो शहर थी, मैं गांव था,वो शहर थी..💕✍ मैं गर्म सा,वो नर्म सी, हाँ थी कभी हमदर्द भी, कैसे वो मुझमे ठहरती, मैं नीम था,वो पूरी शहद थी, मैं नीम था,वो पूरी शहद थी..✍"

मैं सुबह था, वो दोपहर थी.. मैं एक बूंद सा वो पूरी लहर सी.. कैसे वो मुझमे ठहरती, मैं गांव था,वो शहर थी, मैं गांव था,वो शहर थी..💕✍ मैं गर्म सा,वो नर्म सी, हाँ थी कभी हमदर्द भी, कैसे वो मुझमे ठहरती, मैं नीम था,वो पूरी शहद थी, मैं नीम था,वो पूरी शहद थी..✍

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