आज हम अपने बचपन को याद कर फूले नहीं समाते। पिता जी ने अपने गोद में उठा कर जो किस्से और कहानियां सुनाया करते थे उन दिनों को याद कर अंदर ही अंदर हर्षित होकर मुस्कुरा उठा।
ठीक उसी तरह आज जब हम अपने बच्चों को किस्से कहानियों को सुनाते हैं और बच्चे ध्यान से सुनते हैं।
©Vijay Singh
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