मुझमें खुशियां भी हैं, मुझमें गम भी हैं मुझ में चं | हिंदी कविता

"मुझमें खुशियां भी हैं, मुझमें गम भी हैं मुझ में चंचलता भी है, मुझमें गंभीरता भी है। मुझमें बचपना भी है, मुझमें परिपक्वता भी है। मुझमें सरसता भी है, मुझमें उदासीनता भी है। मुझमें अध्यात्म भी है, मुझमें आधुनिकता भी है, मुझमें प्यार भी है, मुझमें नफरत भी है। अब तुम पर निर्भर करता है तुम मुझमें क्या देखते हो । ©Paramjeet"

 मुझमें खुशियां भी हैं, मुझमें गम भी हैं
मुझ में चंचलता भी है, मुझमें गंभीरता भी है।
मुझमें बचपना भी है, मुझमें परिपक्वता भी है।
मुझमें सरसता भी है, मुझमें उदासीनता भी है।
मुझमें अध्यात्म भी है, मुझमें आधुनिकता भी है, 
मुझमें प्यार भी है, मुझमें नफरत भी है।
अब तुम पर निर्भर करता है  तुम मुझमें क्या देखते हो ।

©Paramjeet

मुझमें खुशियां भी हैं, मुझमें गम भी हैं मुझ में चंचलता भी है, मुझमें गंभीरता भी है। मुझमें बचपना भी है, मुझमें परिपक्वता भी है। मुझमें सरसता भी है, मुझमें उदासीनता भी है। मुझमें अध्यात्म भी है, मुझमें आधुनिकता भी है, मुझमें प्यार भी है, मुझमें नफरत भी है। अब तुम पर निर्भर करता है तुम मुझमें क्या देखते हो । ©Paramjeet

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