इक नाज़ुक सा गुलाब भी अब, नासूर जैसा चुभता है। जो | हिंदी Shayari Vide

"इक नाज़ुक सा गुलाब भी अब, नासूर जैसा चुभता है। जो मुझे मिल नहीं सकता, उसमें उसी का चेहरा दिखता है। ©The Poetic Megha "

इक नाज़ुक सा गुलाब भी अब, नासूर जैसा चुभता है। जो मुझे मिल नहीं सकता, उसमें उसी का चेहरा दिखता है। ©The Poetic Megha

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