अपनी दिल के बेताबी को क्या मोड़ दूं, जी करता है अ | हिंदी Poetry Vide

" अपनी दिल के बेताबी को क्या मोड़ दूं, जी करता है अब सब कुछ छोड़ दूं । मैं ना निकला हूॅं खुश होकर घर से , सोचता हूं अब ये रास्ता घर की ओर लूं। ख़फ़ा है हर कोई मुझसे यूं ही बेवजह , खता क्या है मेरी अगर मिले तो पूछ लूं। ये मंजिल गुमनाम है गुमनाम सही , राहों के एक एक दंश को सहेज लूं । जिनके आंखों में हसीन ख्वाब नहीं‌, सोचता हूं उनकी बेचैनियां खरीद लूं। वन्दना यादव ✒️✒️✒️ 10/9/24 10:55 a.m ©Vandana Yadav "

अपनी दिल के बेताबी को क्या मोड़ दूं, जी करता है अब सब कुछ छोड़ दूं । मैं ना निकला हूॅं खुश होकर घर से , सोचता हूं अब ये रास्ता घर की ओर लूं। ख़फ़ा है हर कोई मुझसे यूं ही बेवजह , खता क्या है मेरी अगर मिले तो पूछ लूं। ये मंजिल गुमनाम है गुमनाम सही , राहों के एक एक दंश को सहेज लूं । जिनके आंखों में हसीन ख्वाब नहीं‌, सोचता हूं उनकी बेचैनियां खरीद लूं। वन्दना यादव ✒️✒️✒️ 10/9/24 10:55 a.m ©Vandana Yadav

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