Dear EX आज मै टूट कर बिखर चुकी हू........ तुम्हारी वजह से
हाथ में चुभे कांटे निकल जाते है .........
सीने में चुभी तीर निकल जाते है........
लेकिन मन में चुभे शब्द.......... वो नहीं निकलते........
आप के शब्द सीधे मन में चुभे थे ...........जो बेबुनियाद थी...
फिर भी सुनती गई.....क्योंकि वो शब्दों के बाण दूसरों से कही जा रही थी.....
आप के शब्द , मेरा मन .....मेरी आत्मा... मेरा वजुद - सब तोड़ रहे थे ........
और मै बस अनसुना किये जा रही थी.......
पति - पत्नी , एक जीवन साथी को एक दुसरे से
सिकायत करने का ....... लड़ने का ....... हक है ........
लेकिन उसके स्वाभिमान को भरे बाजार में उछाले का नहीं.......
जीवन भर साथ रहने का वादा .........
खुश- दुःख में साथ निभाने का वादा...... सिर्फ एक खेल निकला.......
जो, घर और बाहर दोनों रिश्ते मैनेज करने का इरादा निकला......
आप ने तो वो हदे भी पार कर दी..... जो , दो कस्ती पर सवारी करना चाहा.....
-✍शालिनी सिंह
©Shalini Singh