//हर पल एक नया किरदार नया चेहरा//
हर पल एक नया किरदार एक नया चेहरा बदलता इंसान है,
आईना भी जिसे देखकर आजकल कितना हो रहा हैरान है।
दिखता है जो चेहरा सामने वो उसका अपना चेहरा ही नहीं,
वास्तव में उसकी क्या है पहचान वो खुद से ही अनजान है।
विश्वास, एहसास,अपनेपन के नाम पर अपनों को ही ठगना,
कभी पूछ कर तो देख खुद से कभी क्या यही तेरा ईमान है।
औरों को छल कर वास्तव में तू तो खुद को ही छल रहा है,
सच्चाई की राह ना चलकर क्यों हो रहा खुद से ही बेईमान है।
पल-पल बदलता चेहरा तेरा तुझे अंँधेरों की ओर ले जाएगा,
फिर अंँधेरा भी पूछेगा तुझसे बता यहाँ क्या तेरी पहचान है।
©Mili Saha
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