सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी सांस मुझे भेज | हिंदी कविता Video

" सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी सांस मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी मां के पास बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं धमाधम ढोल बजे तो ऐसा ही करना मुझे घोड़ी पे लेके जाना ढोलकें बजाना पूरे गांव में घुमाना और मां से कहना बेटा दूल्हा बनकर आया है बहू नहीं ला पाया तो क्या बारात तो लाया है मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना या तिरंगे में लिपट के आना कह देना उनसे, उनकी बात रख ली दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई आख़िरी गोली भी सीने पे खाई ©Harshita Joshi "

सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी सांस मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी मां के पास बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं धमाधम ढोल बजे तो ऐसा ही करना मुझे घोड़ी पे लेके जाना ढोलकें बजाना पूरे गांव में घुमाना और मां से कहना बेटा दूल्हा बनकर आया है बहू नहीं ला पाया तो क्या बारात तो लाया है मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना या तिरंगे में लिपट के आना कह देना उनसे, उनकी बात रख ली दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई आख़िरी गोली भी सीने पे खाई ©Harshita Joshi

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