गुरूवर!! था आधारहीन अंधकार में शीशा है सुखद अनुभव | हिंदी Poetry Vide

" गुरूवर!! था आधारहीन अंधकार में शीशा है सुखद अनुभव जो लगी तपिशा ।। हाथ थाम तरु साख सा रत्ती रत्ती उपर खींचा ।। रण में दौड़े या कण-कण में दौड़े तेज वो अपना हममे सींचा ।। ©Shubham malik real "

गुरूवर!! था आधारहीन अंधकार में शीशा है सुखद अनुभव जो लगी तपिशा ।। हाथ थाम तरु साख सा रत्ती रत्ती उपर खींचा ।। रण में दौड़े या कण-कण में दौड़े तेज वो अपना हममे सींचा ।। ©Shubham malik real

#गुरु

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