White कभी चाह थी गले लगाने की, गैर मुझे अब ग़ैर ज | हिंदी कविता

"White कभी चाह थी गले लगाने की, गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं। राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं, अब मुझे कितना सताने लगे हैं। जिनके इश्क़ की गहरी नींद में था, वो अब रातों को जगाने लगे हैं। खोल दिया है बहानों की किताबें, अब वो धीरे-धीरे दूर जाने लगे हैं। होती थी पूरी रात मोहब्बत की बातें, अब गैर की बाहों में सोने लगे हैं। भूल गए संजोए सपनों की कहानी, मेरा इश्क़ अब वो भुलाने लगे हैं। मशगूल है वो अब गैर इश्क़ में, ख़ुद को बेहतर अब बताने लगे हैं। तोड़ दिया मुझको बेहतर की चाह में अब अपना आशियाँ सजाने लगे हैं। ©theABHAYSINGH_BIPIN"

 White  कभी चाह थी गले लगाने की,
गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं।

राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं,
अब मुझे कितना सताने लगे हैं।

जिनके इश्क़ की गहरी नींद में था,
वो अब रातों को जगाने लगे हैं।

खोल दिया है बहानों की किताबें,
अब वो धीरे-धीरे दूर जाने लगे हैं।

होती थी पूरी रात मोहब्बत की बातें,
अब गैर की बाहों में सोने लगे हैं।

भूल गए संजोए सपनों की कहानी,
मेरा इश्क़ अब वो भुलाने लगे हैं।

मशगूल है वो अब गैर इश्क़ में,
ख़ुद को बेहतर अब बताने लगे हैं।

तोड़ दिया मुझको बेहतर की चाह में 
अब अपना आशियाँ सजाने लगे हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN

White कभी चाह थी गले लगाने की, गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं। राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं, अब मुझे कितना सताने लगे हैं। जिनके इश्क़ की गहरी नींद में था, वो अब रातों को जगाने लगे हैं। खोल दिया है बहानों की किताबें, अब वो धीरे-धीरे दूर जाने लगे हैं। होती थी पूरी रात मोहब्बत की बातें, अब गैर की बाहों में सोने लगे हैं। भूल गए संजोए सपनों की कहानी, मेरा इश्क़ अब वो भुलाने लगे हैं। मशगूल है वो अब गैर इश्क़ में, ख़ुद को बेहतर अब बताने लगे हैं। तोड़ दिया मुझको बेहतर की चाह में अब अपना आशियाँ सजाने लगे हैं। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#Thinking
कभी चाह थी गले लगाने की,
गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं।

राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं,
अब मुझे कितना सताने लगे हैं।

जिनके इश्क़ की गहरी नींद में था,

People who shared love close

More like this

Trending Topic