शरहद में लडते
धूप में तपते
तुफान में डटके
सामना करने वाले
स्वतंत्रता का मोल उस जवान से
सूखी जमीन पर
नील की खेती
खाली पेट करते
कोडे खाते
स्वतंत्रता का मोल उस किसान से पूछो।
जवरन काम करना
कोयले की खान में जलना
आग में तपना
कारखानों में काम करते
स्वतंत्रता का मोल उस मजदूर से पूछो।
चार दिवारी में कैद
जानवरों की तरह जीना
दर्द को सहना
कोई अस्तित्व न होना
स्वतंत्रता का मोल उस स्त्री से पूछो।
@रुचिका@
स्वतंत्रता का मोल कविता
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