Unsplash भूख प्यास मजबूरी से, काटो का चादर ओढ़ा था | हिंदी मोटिवेशनल

"Unsplash भूख प्यास मजबूरी से, काटो का चादर ओढ़ा था। परिवार की भूख मिटा दूं, इतना ही तो सोचा था।। मूर्ख मनुष्य ने अपनी मर्यादा को छोड़ा था। दान में मिले पैसों का हिसाब उन्होंने पूछा था।। फिर उस इंसान ने महाकुंभ को छोड़ा था।। ©Reshu"

 Unsplash भूख प्यास मजबूरी से, काटो का चादर ओढ़ा था।
परिवार की भूख मिटा दूं, इतना ही तो सोचा था।।
 मूर्ख मनुष्य ने अपनी मर्यादा को छोड़ा था।
दान में मिले पैसों का हिसाब उन्होंने पूछा था।।
फिर उस इंसान ने महाकुंभ को छोड़ा था।।

©Reshu

Unsplash भूख प्यास मजबूरी से, काटो का चादर ओढ़ा था। परिवार की भूख मिटा दूं, इतना ही तो सोचा था।। मूर्ख मनुष्य ने अपनी मर्यादा को छोड़ा था। दान में मिले पैसों का हिसाब उन्होंने पूछा था।। फिर उस इंसान ने महाकुंभ को छोड़ा था।। ©Reshu

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