क्यों इस शोर में तेरी आवाज़ दबी हुई है? यह बेड़िया | हिंदी कविता

"क्यों इस शोर में तेरी आवाज़ दबी हुई है? यह बेड़ियां क्यों है बन चुकी श्रृंगार तेरी? इस अत्याचार की सीमा को पार करोगी कब तुम? कब सुनोगी अपनी आजादी की पुकार तुम? जुल्म सहना ना बन जाए आदत तेरी, अपने डर पर काबू करना बन जाए नियत तेरी , तू ना झुकना जब करे कोई बेइज्जत, तू ना है कमजोर और खुद बचा सकती है अपनी इज्जत । तू है नारी , तू है देवी, तू करे रक्षा अपनों की, तेरी ममता की महिमा है महान, तेरी संग्रस ही है तेरी शान। Happy Women's Day ©Deeza"

 क्यों इस शोर में तेरी आवाज़ दबी हुई है?
यह बेड़ियां क्यों है बन चुकी श्रृंगार तेरी?
इस अत्याचार की सीमा को पार करोगी कब तुम?
कब सुनोगी अपनी आजादी की पुकार तुम?
 
जुल्म सहना ना बन जाए आदत तेरी,
अपने डर पर काबू करना बन जाए नियत तेरी ,
तू ना झुकना जब करे कोई बेइज्जत,
तू ना है कमजोर और खुद बचा सकती है अपनी इज्जत ।

तू है नारी , तू है देवी,
तू करे रक्षा अपनों की,
तेरी ममता की महिमा है महान,
तेरी संग्रस ही है तेरी शान।
  


Happy Women's Day

©Deeza

क्यों इस शोर में तेरी आवाज़ दबी हुई है? यह बेड़ियां क्यों है बन चुकी श्रृंगार तेरी? इस अत्याचार की सीमा को पार करोगी कब तुम? कब सुनोगी अपनी आजादी की पुकार तुम? जुल्म सहना ना बन जाए आदत तेरी, अपने डर पर काबू करना बन जाए नियत तेरी , तू ना झुकना जब करे कोई बेइज्जत, तू ना है कमजोर और खुद बचा सकती है अपनी इज्जत । तू है नारी , तू है देवी, तू करे रक्षा अपनों की, तेरी ममता की महिमा है महान, तेरी संग्रस ही है तेरी शान। Happy Women's Day ©Deeza

#womensday2021

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