मेरे पापा के लिए किसी राजकुमारी से कम थोडी हूं मैं | हिंदी Poetry Vide

"मेरे पापा के लिए किसी राजकुमारी से कम थोडी हूं मैं, मेरी बड़ी से बड़ी ग़लती भी वो हंस कर टाल देते हैं। खुद दो जोडी कपड़ों में ही सालों गुजार देते हैं, और मेरे लिए पुरा बाजार घर ला देते हैं। मैं रूठ जाऊं तो मुझे हंसाने के लिए वो बच्चे बन जाते हैं। मेरे पापा मेरे लिए ना जाने कितना कष्ट उठाते हैं। मई -जून के महीने में हम एसी से बाहर नहीं निकलते, और पापा घर आते तो उनके कपड़े तक जलते-बलते। उनको छू कर मुझे मेरे सुख का अहसास होता , बस यही हर दम हूं सोचती की पापा बिना मेरा संसार कैसा होता? ©Priyanka Siraswal "

मेरे पापा के लिए किसी राजकुमारी से कम थोडी हूं मैं, मेरी बड़ी से बड़ी ग़लती भी वो हंस कर टाल देते हैं। खुद दो जोडी कपड़ों में ही सालों गुजार देते हैं, और मेरे लिए पुरा बाजार घर ला देते हैं। मैं रूठ जाऊं तो मुझे हंसाने के लिए वो बच्चे बन जाते हैं। मेरे पापा मेरे लिए ना जाने कितना कष्ट उठाते हैं। मई -जून के महीने में हम एसी से बाहर नहीं निकलते, और पापा घर आते तो उनके कपड़े तक जलते-बलते। उनको छू कर मुझे मेरे सुख का अहसास होता , बस यही हर दम हूं सोचती की पापा बिना मेरा संसार कैसा होता? ©Priyanka Siraswal

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