हम जुदा हो गए वाकया याद है।
दूर रहने का भी फैसला याद है ।
शर्त तो थी न रूठेंगे जाने वफ़ा।
एक शिक़ायत पे बस रूठना याद है।
ग़ैर के हो गए ज़ख़्म देकर हमें।
एक झटके में दिल तोड़ना याद है
बेवफ़ाई ही करते रहे थे सदा ।
जुल्म सहने का वो सिलसिला याद है ।
सर उठाने लगी नफ़रतें प्यार में।
दिल का टूटा हुआ आइना याद है ।
इश्क़ है आग का एक दरिया समझ।
पार करने का वो फ़लसफ़ा याद है ।
खूबसूरत फ़रेबी अदा पर फिसल।
जान देने का वो हौसला याद है ।
#my ghazal