शब ए खामोशी का तुम्हें कैसे ये अहसास दिला आऊँ l ख | हिंदी शायरी

"शब ए खामोशी का तुम्हें कैसे ये अहसास दिला आऊँ l खुली आँखों की पलकों पर ओज की तरह लोट आऊँ l ये ऐसा प्रेम है जो एक प्रेम की शैली हो जाए लुप्त हुई खुशी आखरी सांस तक हिया में तुम्हीं को ही रट पाऊँ l ©Bhardwaj Only Budana"

 शब ए खामोशी का तुम्हें कैसे ये अहसास दिला आऊँ l 
खुली आँखों की पलकों पर ओज की तरह लोट आऊँ l
ये ऐसा प्रेम है जो एक प्रेम की शैली हो जाए लुप्त हुई
 खुशी आखरी सांस तक हिया में तुम्हीं को ही रट पाऊँ l

©Bhardwaj Only Budana

शब ए खामोशी का तुम्हें कैसे ये अहसास दिला आऊँ l खुली आँखों की पलकों पर ओज की तरह लोट आऊँ l ये ऐसा प्रेम है जो एक प्रेम की शैली हो जाए लुप्त हुई खुशी आखरी सांस तक हिया में तुम्हीं को ही रट पाऊँ l ©Bhardwaj Only Budana

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