आम हु सरेआम ना कैरे। तू मैंने बदनाम ना कैरे कसूर तो तेरी आँख्या का भी रहया होगा मेरे पे सारा इश्क़ का इल्ज़ाम ना कैरे जे दिल में इज्जत स तो सो बार कर किसे के रुतबे नै देख के सलाम ना कैरे खुदारी चाइये तो वफादारी भी राख खाके किसे का नमक हराम ना कैरे पुरषारथ करना सीख परविंदर राणा खाली बैठ के खुद न नाकाम ना कैरे
©Parvindar Rana
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