मोहब्बत के फलसफे पर वो यूं ही अड़ी है । | हिंदी शायरी

"मोहब्बत के फलसफे पर वो यूं ही अड़ी है । उसने किताबों से और मैंने निगाहों से पढ़ी है। बस एक यही कमी हमारी उल्फत में रही है । उसने कागज की कही और मैंने दिल की कही है।"

 मोहब्बत के फलसफे पर वो यूं ही अड़ी है ।                                   उसने किताबों से और मैंने निगाहों से पढ़ी है।                                        बस एक यही कमी हमारी उल्फत में रही है ।                                     उसने कागज की कही और मैंने दिल की कही है।

मोहब्बत के फलसफे पर वो यूं ही अड़ी है । उसने किताबों से और मैंने निगाहों से पढ़ी है। बस एक यही कमी हमारी उल्फत में रही है । उसने कागज की कही और मैंने दिल की कही है।

मोहब्बत के फलसफे पर वो यूं ही अड़ी है

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