सुनो एक बार फिर मेरे सुने मन को तुम,
अपने स्नेह के रंगों से रंग देना,
मेरी कोरी चुनडी को भीनी कर देना,
पढ लेना फिर से मेरी आंखों की गहराइयों को,
भर देना फिर रंगो से मेरी मांग।
डूबो देना मुझे उस मीठे एहसास मे ,
जब भी पलके बंद करु तो ,
तेरी नामोजुदगीमे भी,
तेरे पास होने का एहसास पाऊं।
ईस होली मे बस फिर एक बार,
मिटाकर सारी रंजीश और गम,
तेरे साथ प्यार के रंगो मे रंग जाऊ।
और ऊन एहसासो को ऐसे अपनी सांसों मे समा लूँ।
तेरी नामोजूदगी मे भी पलको को बंद कर,
दिल को बहला लूँ।
ईस होली मे ,मै रंग जाऊ ऐसे तेरे रंग में,
तेरे संग तेरे एहसासो को अपने जहन मे समा,
ईस होली को यादगार बना लूँ।
कविता जयेश पनोत
©Kavita jayesh Panot
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