White कोई पड़ोसी भूखा हो कैसे निवाला गटकोगे कोई प | हिंदी कविता

"White कोई पड़ोसी भूखा हो कैसे निवाला गटकोगे कोई पड़ोसी मारता हो तुम कैसे तमाशा देखोगे आज उसके घर घुस आया अल्ला का अलाप लिये, कल तेरा खतना कर डालेंगे हुं अकबर गाते होए सोए हो सोते रह जाओगे डरते डरते मर जाओगे बटते बटते घट जाओगे आ गया है मौका एक जुट हो जाने का कुछ ऐसा कर दिखाने का देश का मान बढ़ाने का देश को सुरक्षित कर जाने का पड़ोसी धर्म निभाने का, 71,47 की गलती फिर ना दोहराने का, बातों से ना सुनता हो तो, आज मौका है उसे, दो खण्डों मे कर , अपने मे मिला लेने का, जो इतने सालों से ना हुआ वो इतिहास बनाने का, तरसती आंखों से जो तुम्हें देख रहे, अपनी बाहें फैला , तेरे शरण के लिए तरस रहे कसूर है बस उनका, कि वो अब तक कैसे हिन्दू बन घुम रहे कसूर है बस उनका कि वो अब तक हिन्दू बने घुम रहे .....🖊राशि ©Rashi"

 White कोई पड़ोसी भूखा हो
कैसे निवाला गटकोगे 
कोई पड़ोसी मारता हो
तुम कैसे तमाशा देखोगे
आज उसके घर घुस आया 
अल्ला का अलाप लिये,
कल तेरा खतना कर डालेंगे
हुं अकबर गाते होए
सोए हो सोते रह जाओगे
डरते डरते मर जाओगे
बटते बटते घट जाओगे
आ गया है मौका 
एक जुट हो जाने का
कुछ ऐसा कर दिखाने का
देश का मान बढ़ाने का
देश को सुरक्षित कर जाने का
पड़ोसी धर्म निभाने का,
71,47 की गलती फिर ना दोहराने का,
बातों से ना सुनता हो तो,
आज मौका है उसे,
दो खण्डों मे कर ,
अपने मे मिला लेने का,
जो इतने सालों से ना हुआ 
वो इतिहास बनाने का,
तरसती आंखों से जो तुम्हें देख रहे,
अपनी बाहें फैला ,
तेरे शरण के लिए तरस रहे
कसूर है बस उनका,
कि वो अब तक कैसे हिन्दू बन घुम रहे 
कसूर है बस उनका
कि वो अब तक हिन्दू बने घुम रहे
                                    .....🖊राशि

©Rashi

White कोई पड़ोसी भूखा हो कैसे निवाला गटकोगे कोई पड़ोसी मारता हो तुम कैसे तमाशा देखोगे आज उसके घर घुस आया अल्ला का अलाप लिये, कल तेरा खतना कर डालेंगे हुं अकबर गाते होए सोए हो सोते रह जाओगे डरते डरते मर जाओगे बटते बटते घट जाओगे आ गया है मौका एक जुट हो जाने का कुछ ऐसा कर दिखाने का देश का मान बढ़ाने का देश को सुरक्षित कर जाने का पड़ोसी धर्म निभाने का, 71,47 की गलती फिर ना दोहराने का, बातों से ना सुनता हो तो, आज मौका है उसे, दो खण्डों मे कर , अपने मे मिला लेने का, जो इतने सालों से ना हुआ वो इतिहास बनाने का, तरसती आंखों से जो तुम्हें देख रहे, अपनी बाहें फैला , तेरे शरण के लिए तरस रहे कसूर है बस उनका, कि वो अब तक कैसे हिन्दू बन घुम रहे कसूर है बस उनका कि वो अब तक हिन्दू बने घुम रहे .....🖊राशि ©Rashi

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