White मन का रावण जीवित हैं काग़ज़ के पुतले जलाते ह | हिंदी कविता

"White मन का रावण जीवित हैं काग़ज़ के पुतले जलाते हो पर नारी पर बुरी निगाहें तुम भी तो डालते हो खुद के अंदर झांक ना पाए रावण को दोषी ठहराते हो पहले खुद के मन का रावण तुम क्यों नहीं जलाते हो! ©RICHA DOBHAL"

 White मन का रावण जीवित हैं
काग़ज़ के पुतले जलाते हो
पर नारी पर बुरी निगाहें
तुम भी तो डालते हो
खुद के अंदर झांक ना पाए
रावण को दोषी ठहराते हो
पहले खुद के मन का रावण
 तुम क्यों नहीं जलाते हो!

©RICHA DOBHAL

White मन का रावण जीवित हैं काग़ज़ के पुतले जलाते हो पर नारी पर बुरी निगाहें तुम भी तो डालते हो खुद के अंदर झांक ना पाए रावण को दोषी ठहराते हो पहले खुद के मन का रावण तुम क्यों नहीं जलाते हो! ©RICHA DOBHAL

#Dussehra

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