तू ही जननी तू सुख करनी, तू दुख हरनी माता। तू ही अं | मराठी विचार

"तू ही जननी तू सुख करनी, तू दुख हरनी माता। तू ही अंत तू ही आरंभ है, तुझमें जग ये समाता। ©Munish Jassal"

 तू ही जननी तू सुख करनी,
तू दुख हरनी माता।
तू ही अंत तू ही आरंभ है,
तुझमें जग ये समाता।

©Munish Jassal

तू ही जननी तू सुख करनी, तू दुख हरनी माता। तू ही अंत तू ही आरंभ है, तुझमें जग ये समाता। ©Munish Jassal

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