आ अब गांव चलते हैं बगिया में ठहरतें हैं कलियों क

"आ अब गांव चलते हैं बगिया में ठहरतें हैं कलियों को छेड़तें हैं शिकंजों से खाकर शिकस्त शरारते बस्तियों में चलते हैं । आ अब गांव चलते हैं जंग ए जश्न जिंदगी होते हैं सिर्फ चतुराई नहीं मौज करते हैं खुदगर्ज़ व खुदगर्ज़ी से रहकर खफा खुदा ए दरमियां में चलते हैं । आ अब गांव चलते हैं ।। #poemonmyvillage : - ईशांत मोदी"

 आ अब गांव चलते हैं 
बगिया में ठहरतें हैं 
कलियों को छेड़तें हैं 
शिकंजों से खाकर शिकस्त 
शरारते बस्तियों में चलते हैं ।

आ अब गांव चलते हैं 
जंग ए जश्न जिंदगी होते हैं 
सिर्फ चतुराई नहीं मौज करते हैं
खुदगर्ज़ व खुदगर्ज़ी से रहकर खफा
खुदा ए दरमियां में चलते हैं ।

आ अब गांव चलते हैं ।।
#poemonmyvillage :

- ईशांत मोदी

आ अब गांव चलते हैं बगिया में ठहरतें हैं कलियों को छेड़तें हैं शिकंजों से खाकर शिकस्त शरारते बस्तियों में चलते हैं । आ अब गांव चलते हैं जंग ए जश्न जिंदगी होते हैं सिर्फ चतुराई नहीं मौज करते हैं खुदगर्ज़ व खुदगर्ज़ी से रहकर खफा खुदा ए दरमियां में चलते हैं । आ अब गांव चलते हैं ।। #poemonmyvillage : - ईशांत मोदी

#myvillage

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