"बारिश की बूंदे और उसकी आंखें ,
पता नहीं क्यों बिन मौसम बरस जाती है ।
वजह का अंदाजा तो ना लगा पाई मैं पर, देख कर लगता है, किसीसे बेइंतहा प्यार करती है बेचारी ।"
बारिश की बूंदे और उसकी आंखें ,
पता नहीं क्यों बिन मौसम बरस जाती है ।
वजह का अंदाजा तो ना लगा पाई मैं पर, देख कर लगता है, किसीसे बेइंतहा प्यार करती है बेचारी ।